अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार ने लोगों को टीबी और पेचिस जैसे बीमारी से बचाव के लिए जागरूक किया
-टीबी संक्रमित माँ भी करा सकती है स्तनपान
-कुपोषित व्यक्तियों में टीबी होने की संभावना अधिक
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट फ़रीदाबाद हरियाणा 23 नवंबर। टीबी एक संक्रामक बीमारी है। यह गंभीर होने पर जानलेवा भी हो सकता है। टीबी होने पर दिमाग को मजबूत रखकर यानी दृढ़ इच्छाशक्ति से इस बीमारी को हरा सकते हैं। ये बातें अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरिसवा के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुमित कुमार ने केयर एवं सपोर्ट ग्रुप की मासिक बैठक में कहीं। डॉ सुमित ने कहा कि टीबी लाइलाज नहीं है, लेकिन इलाज न करवाने की सूरत में यह जानलेवा हो सकता। इसका इलाज अमूमन छह महीने तक सही दवाओं के सेवन से किया जा सकता है। शरीर के किसी भी हिस्से में नाखून और बाल को छोड़कर टीबी हो सकता है।
स्तनपान से नहीं फैलता टीबी:
चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुमित कुमार ने कहा कि अगर छोटे बच्चे की मां को टीबी हो जाए तो उस स्थिति में कई बार परिवार के लोग बच्चे को मां से दूर कर देते हैं। बच्चे को मां का दूध नहीं पीने देते हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि स्तनपान से टीबी नहीं फैलता है। ड्रग सेंसिटिव टीबी का इलाज 6 से 9 महीने और ड्रग रेजिस्टेंट का 2 साल या अधिक तक चल सकता है। टीबी के इलाज के दौरान प्रोटीनरीच डाइट खाना महत्वपूर्ण है। स्थानीय सब्जी, फल और दाल लेना आवश्यक है। वहीं फार्मासिस्ट मो. जिकरूलाह ने बताया कि उन व्यस्कों में टीबी जल्दी फैलता है जो कुपोषण के शिकार होते हैं। क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिए उपचार के दौरान खानपान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनके भोजन में पत्तेदार सब्जियां, विटामिन डी और आयरन के सप्लीमेंट्स, साबुत अनाज और असंतृप्ति वसा होना चाहिए। भोजन टीबी के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनुपयुक्त भोजन से उपचार असफल हो सकता और दुबारा संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए अपनी सेहत का ख्याल रखें और नियमित रूप से अपनी शारीरिक जांच कराते रहें।
न छोडें इलाज के बीच टीबी की दवा:
केएचपीटी के सामुदायिक समन्यवक डॉ घनश्याम ने बताया कि टीबी का इलाज शुरू होने के बाद उसे बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने बताया कि कई बार लोग टीबी की जांच कराने में संकोच करते हैं। अगर वजन कम हो रहा और खांसी नहीं रुक रही है तो समय पर टीबी की जांच कराएं और बीमारी होने पर तुरंत दवाई लेना शुरू कर दें। सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर मुफ्त जाँच व इलाज होता है।