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बसपा के राष्ट्रीय दल के दर्जे पर लग सकता है ब्रेक 

दलित के वोटों पर एकाधिकार समझने वाली बहुजन समाज पार्टी के 3 दिसंबर 2023 को आए पांच राज्यों के चुनाव परिणाम ने पार्टी के राष्ट्रीय दल की मान्यता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सन् 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम के बादसे बहुजन समाज पार्टी लगातार राज्यों में अपना आधार खोती जा रही है । पांच राज्यों में हुए हाल के चुनावों में बसपा को राजस्थान में ही दो सीट जीतने में सफलता मिल सकी है। 

उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए 2022 फरवरी में हुए चुनावों के बाद बसपा का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है । 2023 मई और दिसम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय दल के तौर पर 1997 से दर्ज बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय दल के दर्जे 26 साल बाद राष्ट्रीय दल का दर्जा छीनने के हालात बन गए हैं।

मई 2023 में हिमाचल प्रदेश कर्नाटक मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव हुए।

दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश राजस्थान तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव हुए हैं। बहुजन समाज पार्टी किसी भी राज्य राष्ट्रीय दल की मान्यता के लिए जरूरी 6 प्रतिशत मत लेने मैं कामयाब नहीं हो सकी है। इससे स्पष्ट है कि अकेले उत्तर प्रदेश के भरोसे बहुजन समाज पार्टी का राष्ट्रीय दल का दर्जा बच पाना मुमकिन नहीं रह गया है। चुनाव आयोग ने जिस तरह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया और तृणमूल कांग्रेस का राष्ट्रीय दल का दर्जा खत्म किया है। उसी तर्ज पर चुनाव आयोग 2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व बहुजन समाज पार्टी का राष्ट्रीय दल का दर्जा खत्म करने का फैसला सुना सकता है।

विधानसभा चुनावों में राज्य बार प्राप्त मत प्रतिशत

2023 मई-

मध्य प्रदेश3.40

छत्तीसगढ़ 2.5

राजस्थान1.82

तेलंगाना1.37

विधानसभा चुनाव फरवरी 2022

उत्तर प्रदेश-12.88

उत्तराखंड 4.82

पंजाब-1.77

कर्नाटक-0.32

मणिपुर-00

गोवा-00

इन चुनाव परिणामों के आधार पर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय दल की मान्यता खत्म किए जाने की संभावना प्रबल हो गई है।

आपको बता दें कि कम से चार राज्यों में 6 ℅ से ज्यादा मत।

चार राज्यों में लोकसभा सीटों के मान से 2℅ सीटों पर जीत हासिल की हो। या लोकसभा 11 सांसद।

वर्तमान में उत्तर प्रदेश में बसपा के 10 लोकसभा सदस्य 1 विधायक और 1 राज्य सभा सदस्य हैं।

उत्तराखंड 2 विधायक

पंजाब 1 विधायक

राजस्थान में हाल ही में 2 विधायक निर्वाचित हुए हैं।

जबकि मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ में में 1990 से विधायक जीतने वाली बसपा शून्य पर ठहर गई है।

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