
डॉ. मेहताब का लोकतांत्रिक आदर्श हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत है- कुलपति प्रो. वाय. एस. ठाकुर
विश्वविद्यालयों को छात्र प्रथम के ध्येय के साथ कार्य करना चाहिए- प्रो. जी. एस. बाजपेयी
अपनी क्षमताओं को बढ़ाएं, आपका मुकाबला कोई नहीं कर सकता- प्रो. बलराम पाणी
डॉ. मेहताब सच्चे अर्थों में जननायक थे- डॉ. छबिल कुमार मेहेर
डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशानुसार डॉ. हरेकृष्ण मेहताब, प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, इतिहासकार एवं समाज सुधारक की स्मृति में दिनांक 24 अक्टूबर, 2025 को पूर्वान्ह 11:30 बजे रंगनाथन भवन में एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो. जी.एस. बाजपेयी, कुलपति, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, सारस्वत अतिथि प्रो. बलराम पाणी, डीन ऑफ़ कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. छबिल कुमार मेहेर, उपनिदेशक (राजभाषा), गृह मंत्रालय, भारत सरकार उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. यशवंत सिंह ठाकुर ने की। स्वागत वक्तव्य एवं कार्यक्रम की रूपरेखा प्रो. हिमांशु कुमार पाण्डेय, विभागाध्यक्ष एवं अधिष्ठाता, विधि अध्ययनशाला ने प्रस्तुत की। आभार ज्ञापन कुलसचिव डॉ. एस.पी. उपाध्याय के द्वारा किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एन.एल.यू.), नई दिल्ली एवं डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के मध्य एक अकादमिक समझौता (एम.ओ.यू.) भी हुआ।
प्रो. जी. एस. बाजपेयी ने कहा कि मैं पूरे देश के अलग-अलग स्थानों पर भ्रमण करता रहता हूँ और पूरी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भी मेरा आना जाना लगा रहता है लेकिन सागर की कोई तुलना नहीं है. मैं यहाँ छात्र और शिक्षक दोनों रहा. इस विश्वविद्यालय और डॉ. गौर के प्रति मेरी अगाध श्रद्धा और प्रेम है. दो संस्थाओं के बीच होने वाला यह शैक्षणिक समझौता ऐतिहासिक है. इस माध्यम से मैं इस विश्वविद्यालय में कुछ योगदान कर पाऊंगा, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है. उन्होंने आइडिया ऑफ़ यूनिवर्सिटी विषय पर बात रखते हुए विश्वविद्यालयों की प्रासंगिकता, उनके महत्त्व और उनकी भूमिका पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि विश्व प्रसिद्ध हार्वर्ड विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य केवल ज्ञान का प्रसार करना नहीं था बल्कि समाज में योगदान करना भी था. विश्वविद्यालय ज्ञान के प्रकाश का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है जहाँ से पूरे समाज को बदलने का रास्ता मिलता है. उन्होंने शिक्षकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और कहा कि शिक्षक को स्वयं में भी बदलाव के लिए तैयार रखना चाहिए. छात्रों के बीच उत्सुकता बनाये रखना और प्रश्नाकुलता पैदा करना एक अच्छे शिक्षक का दायित्व है. उन्होंने कहा कि शिक्षा केन्द्रों में नवाचार बहुत आवश्यक है. हमें अपने माइंड सेट को बदलना चाहिए तभी नवाचार संभव है. विश्वविद्यालयों की प्रासंगिकता और उपादेयता उनके सामुदायिक योगदान से ही सिद्ध हो सकेगी. विश्वविद्यालयों को छात्र प्रथम के ध्येय के साथ कार्य करना चाहिए.
प्रो. बलराम पाणी ने डॉ. हरे कृष्ण मेहताब की जीवनी और उनके स्वाधीनता आन्दोलन में योगदान पर बात रखी. उन्होंने कहा कि डॉ. मेहताब सच्चे अर्थों में एक नेतृत्त्वकर्ता, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे. वे एक सृजनात्मक पत्रकार भी थे. उन्होंने 1923 में प्रजातंत्र नामक अख़बार की शुरुआत की. बाद में यह पत्र 1930 में दिल्ली से भी निकलना शुरू हुआ. उन्होंने कहा कि हमें ऐसे महानायक से सीख लेनी चाहिए और उनके आदर्शों पर चलकर देश की सेवा करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रश्नों का उत्तर जानना ज्ञान का परिचायक नहीं है बल्कि प्रश्न ज्ञान के विस्तार का माध्यम हैं. उन्होंने कहा कि प्रतिबद्धता, क्षमता और साहस के साथ भविष्य दृष्टि रखते हुए कार्य करना एक कुशल नेतृत्वकर्ता का गुण है. डॉ. मेहताब एक ऐसी ही शख्सियत थे. एक विश्वविद्यालय होने के नाते हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके आदर्शों पर चलते हुए छात्रों को एक बेहतर मनुष्य बनने की सीख दें. उन्होंने कहा कि अपनी क्षमताओं को बढ़ाएं, आपका मुकाबला कोई नहीं कर सकता.
डॉ. छबिल कुमार मेहेर ने कहा कि डॉ. मेहताब की भविष्य दृष्टि हमारे वर्तमान को आगे ले जाने में मदद करेगा. उन्होंने कहा कहा कि डॉ. मेहताब ने भारतीय साहित्य, राजनीति, इतिहास, समाज सुधार और पत्रकारिता के क्षेत्र में महती योगदान दिया है. वे सच्चे मायने में जननायक थे.. उन्होंने आजीवन समाज के वंचित समूहों के कल्याण के लिए कार्य किया. समतामूलक समाज की स्थापना के वे हिमायती थे. वे कई राजनीतिक पदों पर रहे और उन्होंने आजीवन जन सेवा को राष्ट्र सेवा का सिद्धांत माना. डॉ. मेहताब के व्यक्तित्व और कृतित्व में साहित्य और राजनीति का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है.
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वाय. एस. ठाकुर ने कहा कि यह अति प्रसन्नता की बात है कि इस कार्यक्रम में डॉ. मेहताब के गृह राज्य उड़ीसा के छात्र-छात्राएं भी मौजूद रहकर अपनी रचनात्मक भूमिका निभा रहे हैं. हमारा विश्वविद्यालय सांस्कृतिक समन्वय का अभिनव केंद्र है. उन्होंने कहा कि हरेकृष्ण मेहताब जी का जीवन बहुत ही सरल रहा लेकिन उन्होंने हमेशा आइडिया की बात की. वे लोकतांत्रिक आदर्शों में विश्वास रखते थे. उन्होंने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि मंत्रालय द्वारा हमें इस कार्यक्रम को आयोजित करने की स्वीकृति प्रदान की गई.
डॉ एस पी उपाध्याय ने विशिष्ट अतिथियो का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा डॉ. हरे कृष्ण मेहताब के जीवन पर केंद्रित यह आयोजन राष्ट्र के निर्माण में उनके योगदान को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का सार्थक प्रयास है. कई वर्ष पूर्व उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा विधि विषय में मानद उपाधि प्रदान किया गया था. निकट भविष्य में उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे और उनके विचारों को पाथेय के रूप में लेकर हम सब राष्ट्र सेवा कर पाएंगे. उनकी स्मृति में विश्वविद्यालय में स्वर्ण पदक एवं पुरस्कार भी प्रदान करने का प्रयास किया जाएगा. राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.
डॉ. गौर विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, दिल्ली के बीच हुआ शैक्षणिक समझौता
व्याख्यान कार्यक्रम के अवसर पर डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर एवं राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एन.एल.यू.), नई दिल्ली एवं के मध्य एक शैक्षणिक समझौता (एम.ओ.यू.) भी हुआ। शैक्षणिक समझौता पत्रक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वाय. एस. ठाकुर एवं एन.एल.यू. नई दिल्ली के कुलपति प्रो. जी. एस. बाजपेयी ने हस्ताक्षर किये.
छात्राओं ने दी उड़िया भाषा में संगीतमयी प्रस्तुति
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की छात्रों ने उड़िया भाषा में सांगीतिक प्रस्तुति दी जिसे अतिथियों एवं सभागार में उपस्थित श्रोताओं ने सराहा.कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यगण, अधिकारी, शोधार्थी, छात्र-छात्राएँ एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यगण, अधिकारी, शोधार्थी, छात्र-छात्राएँ एवं कर्मचारी उपस्थित थे।











