
भारतीयों में राष्ट्रभक्ति, सेवा, समरसता हो यह संघ का संकल्प- अविराज सिंह
खुरई। जब भारत राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ मय हो जाएगा तब संघ का कार्य पूरा होगा। भारतीयों में राष्ट्र भक्ति की भावना और सेवा की भावना को बढ़ाता है। आज के समय में राष्ट्र भक्ति का राष्ट्र से सेवा का सबसे अच्छा माध्यम है कि हम स्वदेशी को अपनाए। यह उद्गार भाजपा युवा नेता अविराज सिंह ने 12 अक्टूबर को आयोजित होने वाले विराट पथ संचलन की तैयारियों हेतु विधायक कार्यालय में पदाधिकारियों और युवा साथियों की बैठक में व्यक्त किए।
बैठक में संबोधित करते हुए अविराज सिंह ने कहा कि संघ हमें संदेश देता है कि भारत पर और हिन्दू धर्म पर हमें गर्व करना चाहिए। भारत ने विश्व को ज्ञान दिया है जब पूरा विश्व चलना सीख रहा था तब हम दौड़ रहे थे। हमें गर्व होना चाहिए कि हम भारतीय हैं और हम हिन्दू हैं। राष्ट्र की सेवा के अनेक माध्यम है पर सबसे बड़ा सेवा का कार्य जो संघ भारतीयों में राष्ट्र भक्ति की भावना को बढ़ाता है।
उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले हम बाजार में गए थे। मार्केट में गए, हमने जी एस टी 2.0 के बारे में बात की। हमने स्वदेशी के बारे में बात की तो परम पूज्य सर संघचालक जी ने भी हमें यही संदेश दिया है हमें स्वदेशी को अपनाना है। जब स्वतंत्रता आन्दोलन चल रहा था तो स्वदेशी आन्दोलन के माध्यम से ही भारत के सभी महापुरूषों ने कहा था कि आत्मनिर्भरता स्वदेशी ही एक विकसित भारत का आधार है तो संघ भी इसी बात को कहता है। संघ मानता है कि हमें स्वदेशी को अपनाना है और फिर चाहे कोई भी सेवा का कार्य हो चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो चाहे आदिवासी कल्याण हो, आपदाओं के दौरान राहत हो, महिला सशक्तिकरण हो, सामाजिक बुराईयो के बीच संघर्ष हो, इसमे साल दर साल मिल कर ही हम आगे बढ़ रहे हैं। जातिवाद का भारत में अंत हो रहा है तो इससे बढ़ा सेवा का कार्य भारत में नहीं हो सकता।
श्री अविराज सिंह ने कहा कि संघ का हमेशा से मानना रहा है एक घंटे आत्म विकास और 23 घंटे समाज विकास, यह हमारी सोच रही है। हमने पंच परिवर्तन का संकल्प किया है। इस संकल्प में नागरिक कर्तव्य हैं, स्वर का बोध है, पर्यावरण संरक्षण है, सामाजिक समरसता है, कुटुम्ब प्रबोधन है, यह हमारे पांच संकल्प है और इन पांचों संकल्प को हमें शताब्दी वर्ष में ही पूरा करना है तो इसलिए हम सभी को यह मिलके प्रयास करना हैं।
अविराज सिंह ने कहा कि आपने अपने वार्ड में देखा है कि संघ शाखा लगाता है आप सभी शाखा में जाते भी है। शाखा का मुख्य लाभ यह है कि शाखा में बैचारिक शक्ति होती है विचारो में शुद्धी आती है। शाखा में हम सीखते हैं जो चार कार्य मेने आपको बताऐ भारतीयो को भारत पर गर्व है, हिन्दुत्व की विचार धारा को आगे बढ़ाना राष्ट्र पर गर्व हिन्दू धर्म पर गर्व और सेवा ये चारों विचारधाराए शाखा से आती हैं। शाखा हमें आत्म निर्भर बनाती है शाखा केवल शारीरिक बल तक सीमित नहीं है शाखा भारत के युवाओ को संस्कारी बनाती है।
अविराज सिंह ने कहा कि 1925 में जब संघ की स्थापना हुयी तो परम पूज्य केशव बलिराम हेडगेवार जी ने युवा निर्माण पर जोर दिया। युवाओं को सशक्त बनाने पर जोर दिया। उन्होंने प्रयास किया कि ऐसे युवाओं का निर्माण हो, जो संस्कारी हों, जिनके अंदर भारतीय संस्कार हों, और जो विदेशी मूल्यों और मान्यताओं को ना माने और उनके अंदर विदेश की विचारधाराओं की गुलामी ना हो, तो हम निरंतर यही कार्य कर रहे है। ऐसे युवाओ का निर्माण कर रहे है जिनके अंदर भारतीय संस्कार हों और वेर्स्टन पद्वति का अंश ना हो तो शाखा उसका माध्यम है शाखा के माध्यम से युवाओं में विचार की शुद्वि आती है।
उन्होंने कहा कि जिस राष्ट्र में विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है जिस राष्ट्र में विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है, वह राष्ट्र हमेंशा ही प्रधान होगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के माध्यम से हम सभी में यह विचार आता है कि हमे भारतीय होने पर गर्व करना है।